1) मेष लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में सूर्य
मेष राशि में आकर उच्च के हो जाएंगे इस कुंडली में संतान भाव के मालिक होने के कारण बहुत ही भाग्यशाली और उत्तम संतान प्राप्ति के योग बनेंगे ऐसे इंसान का दिमाग बहुत ही तेज और पावरफुल होगा,
लॉन्ग टर्म शेर के इन्वेस्टमेंट से फायदा होगा,
संतान के जन्म के बाद भाग्योदय बढ़ेगा ऐसे इंसान का,
किसी भी स्किल्स को सीखने के लिए और एजुकेशन के लिए यह सूर्य आपके लिए काफी मददगार साबित होगा,
2) मेष लग्न में सूर्य दूसरे भाव में
यानी की वृषभ राशि में आने पर शत्रु क्षेत्री हो जाएंगे ऐसी सिचुएशन में
व्यक्ति अपने पूर्वजन्म की पुण्याई से आर्थिक लाभ पाएगा लेकिन सूर्य शत्रु क्षेत्री होने के कारण संतान से लाभ परंतु संतान से कुछ मतभेद और कुटुंब से कुछ मतभेद होने के योग बनते हैं इन्हें समझदारी से बचना चाहिए, स्ट्रांग वाणी का उपयोग नहीं करना चाहिए उन्नति होगी,
3) मेष लग्न की कुंडली में सूर्य तीसरे भाव में
मिथुन राशि में अपने मित्र भूत के घर में आएंगे यहां पर व्यक्ति को बहुत ही पराक्रमी साहसी अपनी मेहनत से सफल होने वाला,
संतान से लाभ प्राप्त करने वाला,
जीवन में कठिन परिश्रम से सफल बनाता है
4) मेष लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में
सूर्य कर्क राशि के होंगे इनके मित्र चंद्रमा की राशि है इसलिए यहां मित्र क्षेत्रीय होंगे खुद के मकान के योग बनेंगे, वाहन के योग बनेंगे,
लोकप्रियता बढ़ेगी, कुछ मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा लेकिन घरेलू जीवन में मानसिक शांति में थोड़ा उतार-चढ़ाव रहेगा
5) मेष लग्न की कुंडली में पंचम भाव में सूर्य
खुद के घर में सिंह राशि में आ जाएंगे यहां पर सूर्य बहुत ही बुद्धिमान तेजस्वी होशियार तर्क बुद्धि वाले अच्छी विद्या वाले अच्छे संतान सुख से युक्त बनाएंगे संतान के जन्म के बाद भाग्योदय बढ़ेगा शेयर बाजार में लोंग टर्म इन्वेस्टमेंट से फायदा होगा
6) मेष लग्न में सूर्यदेव छठे भाव में
कन्या राशि में आएंगे अपने मित्र की राशि में होने के कारण यहां पर यह अच्छा फल देंगे विरोधियों को परास्त करेंगे ,दुश्मन कभी कुछ बिगाड़ नहीं पाएंगे, पाचन शक्ति मजबूत होगी,
वकील डॉक्टर पुलिस विभाग संबंधित या गवर्नमेंट जॉब में फायदा होगा,
संतान पराक्रमी होगी लेकिन संतान के साथ मतभेद होगा, मतभेद से बचें
7) मेष लग्न में सूर्य देव सातवें भाव में
नीच के हो जाएंगे यहां पर सूर्यदेव अपने नकारात्मक गुणों के कारण व्यक्ति की शादीशुदा जिंदगी को काफी हद तक खराब करेंगे शादीशुदा जीवन में इगो का प्रॉब्लम लड़ाई झगड़ा ऐसे नकारात्मक पहलू आते रहेंगे दूसरी भी खराब योग मौजूद हो तो डाइवोर्स तक बात पहुंच सकती है ऐसे में योग्य ज्योतिषी को बताकर इसका उपाय करना बहुत जरूरी है
8) मेष लग्न में आठवें भाव में
सूर्य देव वृश्चिक राशि में अपने मित्र मंगल के घर में मित्र क्षेत्रीय होकर आएंगे
लेकिन आठवें भाव में सूर्य देव का होना अच्छा नहीं होता
विद्या प्राप्ति में बाधा, संतान प्राप्ति में विलंब, पेट से संबंधित रोग आने की संभावनाएं,
शेयर सट्टे में नुकसान के योग,
संतान से मतभेद,
प्रेम को पाने में रुकावटें,
लेकिन पैतृक संपत्ति को पाने के योग जरूर बनते हैं,
ससुराल पक्ष या पत्नी पक्ष से लाभ के योग बनते हैं
9) मेष लग्न की कुंडली में नवम भाव में
सूर्य देव का होना किसी वरदान से कम नहीं है आपको बहुत भाग्यशाली बनाएगा 22 से 24 की उम्र में पहला भाग्योदय हो जाएगा, आपकी संतान बहुत भाग्यशाली होगी,
शेयर मार्केट में लोंग टर्म इन्वेस्टमेंट में फायदा होगा,
संतान के जन्म के बाद आपकी दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति होगी,
आपको अच्छी शिक्षा पाने में यह सूर्य बहुत मदद करेगा और आपको बहुत नॉलेज देगा और बुद्धिमान बनाएगा,
आपको दान धर्म करने वाला बनाएगा
10) मेष लग्न में सूर्य दसवें भाव में
दसवें भाव में सूर्य श्रेष्ठ फल देते हैं दसवां भाव सूर्य देव के लिए बेस्ट हाउस माना जाता है
लेकिन यहां पर यह शत्रु क्षेत्री हो जाते हैं,
कुछ संघर्ष के साथ जीवन में यह आपको बहुत ही सफल बनाएंगे गवर्नमेंट से लाभ होगा उच्च पद की प्राप्ति होगी,
पॉलिटिक्स में जाने से भी फायदा होगा,
आप अपनी नॉलेज से अपने कैरियर में बहुत सफल बन सकते हैं, आपकी संतान उच्च पद पर बैठने वाली होगी
11) मेष लग्न में सूर्य देव 11 वे भाव में
कुंभ राशि में आएंगे यहां पर आने के कारण विद्या में सफलता सेवा करने वाली उत्तम संतान प्राप्ति,
संतान से लाभ,
शेयर मार्केट में लोंग टर्म इन्वेस्टमेंट से फायदा, जितना ज्ञान अर्जित करेंगे उतना ही जिंदगी में प्रगति होगी
12) मेष लग्न में बारहवें भाव में
सूर्य देव मीन राशि में आएंगे यह मित्र गुरु की राशि है इसलिए मित्र क्षेत्री हो जाएंगे यहां पर सूर्य देव का होना इतना अच्छा नहीं होगा क्योंकि यह खड्डे का और व्यय का स्थान है सूर्य एक राजा ग्रह है इन्हें ऐसे कमजोर स्थान में होने से यह फायदा नहीं दे पाएंगे ज्यादा, अगर कुंडली में गुरु बलवान हुए तो जन्म स्थान से दूर या विदेश पढ़ाई के योग बन सकते हैं लेकिन अगर गुरु कमजोर रहे तो ऐसा सूर्य आपकी पढ़ाई में बाधा उत्पन्न करेगा संघर्ष होगा
संतान प्राप्ति में बाधा और विलंब हो सकता है
शेर सट्टे में नुकसान के योग हो सकते हैं ऐसे सूर्य के उपाय अपनी कुंडली योग्य ज्योतिषी को दिखाकर जरूर करना चाहिए